नमस्कार साथियो कैसे है आप सब | आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से CAA यानी की citizenship amendment act के बारे में बात करने वाले है | यह कानून कब का है, नागरिकता की क्या परिभाषा है, नागरिक कौन बन सकता है, नागरिक कैसे बने जा सकते है और जो यह CAA आया है क्या यह पहली बार आया है और साथ ही हम समझगे की क्या कुछ नाराजगी है लोगो में और सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा पिटीशन क्यों दायर की गयी है | इस ब्लॉग के माध्यम से हम नागरिकता की 1955 से लेकर अब तक की पूरी कहानी के बारे में बात करेंगे | जो CAA के बारे में है |

नागरिकता क्या है-

नागरिकता किसी भी व्यक्ति और राज्य के बीच सम्बन्ध को दर्शाती है | किसी भी अन्य राज्य की तरह भारत में भी दो तरह के लोग है | एक होते है नागरिक और दूसरे होते है विदेशी | नागरिक भारतीय राज्ये के पूर्ण सदस्य होते है और इसके प्रति निष्ठावान भी होते है | उन्हें नागरिको के सभी राजनैतिक और नागरिक अधिकार प्राप्त भी होते है | जबकि नागरिकता बहिष्कार का एक विचार है क्योकि इसमें गैर नागरिको को शामिल नहीं किया जाता है | नागरिकता से सम्बंधित दो तरह के सिद्धांत प्रसिद्ध है-
(1) jus soli – जन्म स्थान के आधार पर जो नागरिकता प्रदान की जाती है, उसे jus soli कहते है |
(2) jus sanguinis – वही jus sanguinis रक्त सम्बन्ध को मान्यता देता है |
मोतीलाल नेहरू समिति जो 1928 में गठित की गयी थी | jus soli के पक्ष में ही भारत का नेतत्व रहा है | जबकि jus sanguinis नस्लीय विचार के बारे में बात करता है और संविधान सभा ने इसे ख़ारिज कर दिया था | क्योंकि यह भारतीय लोकाचार के खिलाफ था | लेकिन 1955 में जो नागरिकता कानून आया है | वह इसके परे भी कुल पांच प्रकार से नागरिकता प्रदान करने की बात करता है |

पांच प्रकार जिससे भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है –

संविधान का भाग 2, अनुच्छेद 5-11 नागरिकता से सम्बंधित है | लेकिन इसमें इस सम्बन्ध में न तो स्थायी और न ही कोई विस्तार से प्रावधान दिया गया है | यह केवल उन व्यक्तियों के बारे में बात करता है | जो इसके प्रारम्भ यानि की संविधान बनने के प्रारम्भ में 26 जनवरी 1950 को भारत के नागरिक बन गए थे | यह इसके प्रारम्भ होने के बाद नागरिकता पाने या नागरिकता समाप्त होने से बिल्कुल भी सम्बन्धित नहीं है | संसद को ऐसे मामलो और नागरिकता से सम्बन्धित किसी भी मामले के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है और इसके अनुसार ही संसद ने 1955 में नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया और इसमें समय-समय पर संशोधन भी किये गए है |
ब्रिटिश शासन द्वारा नागरिकता जैसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया गया था | स्वतंत्रता से पहले ब्रिटिश नागरिकता और वर्ष 1914 का विदेशी अधिकार अधिनियम लागु था | जिस वर्ष 1948 में हटा दिया गया या निरस्त कर दिया गया | ब्रिटिश राष्टीयता अधिनियम के तहत भारतीयों को नागरिकता के बिना अस्थायी रूप से ब्रिटिश प्रजा के रूप में वर्गीकृत किया गया था |
वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान को अलग करने वाली सीमाओं के पार बड़ी संख्या में जनसंख्या की आवाजाही थी | लोग अपने पसंद के देश में रहने और उस देश का नागरिक बनने के लिए स्वतंत्र हुए थे | इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा ने संविधान के तहत नागरिकता प्रावधानों में एक दायरा सीमित कर दिया और 1955 में संसद कानून बनाकर विस्तारित किया | तो भारत में नागरिकता निम्न तरीको से प्राप्त की जा सकती है-

(1) जन्म के आधार पर नागरिकता – जन्म के आधार पर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक तभी बन सकता है जब वह निम्नलिखित शर्तो को पूरा करता हो –

(1) ऐसा व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ व्यक्ति जन्म से भारत के नागरिक है, भले ही उसके माता-पिता की राष्ट्रियता कुछ भी हो |
(2) 1 जुलाई 1987 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए व्यक्ति को भारत का नागरिक तभी माना जाएगा, जब उसके जन्म के समय उसके माता- पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो |
(3) 3 दिसम्बर 2004 को या उसके बाद भारत में जन्म लेने वालो को भारत का नागरिक तभी माना जाता है, जब उनके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हो या जिनके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक हो और दूसरे बच्चे के जन्म के अवैध प्रवासी न हो |
(4) भारत में तैनात विदेशी राजनयिकों के बच्चे और दुश्मन एलियंस जन्म से भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते है |

(2) पंजीकरण द्वारा नागरिकता- केंद्र सरकार एक आवेदन पर भारत के नागरिक के रूप में किसी भी व्यक्ति को पंजीकृत कर सकती है | परतु शर्त यह है की वह व्यक्ति अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए | पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों द्वारा आवेदन किया जा सकता है –
(1) भारत मूल का एक व्यक्ति जो पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले सात साल से भारत में सामान्य रूप से निवासी है वो पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(2) भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान में सामान्य रूप से निवासी है वो भी पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(3) एक व्यक्ति जो भारत के नागरिक से विवाहित है और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले सात साल से भारत में सामान्य रूप से निवासी है, पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(4) व्यक्तियों के नाबालिक बच्चे जो भारत में नागरिक है,पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते है;
(5) पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति जिसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत है,पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(6) वयस्क व्यक्ति या उसके माता-पिता में से कोई भी स्वतंत्र भारत का पूर्व नागरिक रहा हो और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से ठीक पहले 12 महीने सामान्य रूप से भारत में रहा हो तो वो भी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(7) कोई ऐसा वयस्क व्यक्ति भी जो 5 साल के लिए भारत के कार्ड धारक के एक विदेशी नागरिक के रूप में पंजीकृत है और जो पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 12 महीने के लिए भारत में सामान्य रूप से रहा हो, वो भी पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है;
(8) कोई व्यक्ति जो भारतीय मूल का है या उसके माता-पिता में से कोई एक अविभाजित भारत में या ऐसे अन्य क्षेत्र में पैदा हुए थे जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया हो वो भी पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते है|

(3) वंश द्वारा नागरिकता – (1) ऐसा व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 या उसके बाद लेकिन 10 दिसंबर 1992 से पहले भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति वंश से भारत का नागरिक माना जाता है, यदि उसके पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे |
(2) 10 दिसम्बर 1992 को या उसके बाद भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति को भारत का नागरिक माना जाता है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो |
(3) यदि भारत के बाहर 3 दिसम्बर 2004 के बाद पैदा हुए व्यक्ति को नागरिकता हासिल करनी है तो उसके माता-पिता को यही घोषित करना होता है की नाबालिक के पास दूसरे देश का पासपोर्ट नहीं है और उसके जन्म के एक साल के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकृत है |

(4) प्राकृतिकरण द्वारा नागरिकता- कोई व्यक्ति भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है यदि वह 12 साल( आवेदन के तारीख से 12 महीने पहले और कुल मिलाकर 11 साल) के लिए भारत का निवासी हो और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची में दी गयी सभी योग्यताओं को पूरा करता हो |

(5) प्रादेशिक निगमन द्वारा नागरिकता- यदि कोई विदेशी क्षेत्र भारत का हिस्सा बन जाता है तो भारत सरकार उन व्यक्तियों को निर्दिष्ट करती है जो संक्षेत्र में से भारत के नागरिक होंगे और ऐसे व्यक्ति अधिसूचित तारीख से भारत के नागरिक बन जाते है | इस अधिनियम में वर्ष 1986, 1992,2003,2005,2015 और 2019 में संशोधन किया गया है और वर्तमान जो संशोधन है|  जिस पर बबाल चल रहा है | सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लग हुए है | वह यह 2019 का ही संशोधन है | जो अभी हाल ही में लागू हुआ है |

CAA किन लोगो को नागरिकता देता है –

CAA यानि 2019 का नागरिकता संशोधन अधिनियम 6 समुदाय के लोगो को नागरिकता देने का प्रस्ताव करता है | इस अधिनियम में पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिन्दू,सिख,बौद्ध,जैन,पारसी और ईसाई समुदाय के लोगो को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है |

CAA में किस तारीख के आधार पर नागरिकता दी जाएगी-

अगर 31 दिसम्बर 2014 के पहले पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर कुछ लोग देश में आये हुए है | तो ऐसे लोगो को नागरिकता प्रदान करने का अवसर यह संशोधन देता है | इस संशोधन द्वारा नागरिकता की आवश्कता को भी 11 वर्ष से घटाकर मात्र 5 वर्ष कर दिया गया है | यानि की 5 साल अगर कोई व्यक्ति 31 दिसम्बर 2014 के पहले भारत में रहा है और वह पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आया है और हिन्दू,जैन,पारसी,सिख और ईसाई है तो वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है |

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