नमस्ते दोस्तों कैसे है आप सब | जैसा की हम जानते है की किसी भी देश या समाज को शांतिपूर्वक चलाने के लिए उस देश व समाज में कानून का शासन होना बहुत आवश्यक है | कानून द्वारा किसी सभ्य देश व समाज के निर्माण के लिए कुछ कार्यो को अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है | अथार्त किसी भी व्यक्ति द्वारा उन कानून द्वारा निषिद्ध कार्यो को किये जाने वह दण्ड का भागी होता है | इन कानून द्वारा निषिद्ध कार्यो को अपराध के रूप में दो भागों में विभाजित किया गया है | जिस संज्ञेय (cognizable) और असंज्ञेय (non-cognizable) अपराध कहते है | संज्ञेय अपराध(cognizable offence) ऐसे अपराध होते है जो गम्भीर प्रकृति के होते है | जैसे की हत्या, अपहरण, लूट आदि और असंज्ञेय अपराध(non-cognizable offence) की प्रकृति कम गंभीर होती है | जैसे की किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना, कूटरचना करना,किसी व्यक्ति की मानहानि करना आदि | तो आईये दोस्तों इस लेख के माध्यम से संज्ञेय (cognizable) और असंज्ञेय (non-cognizable) अपराध के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते है –

संज्ञेय अपराध(congnizable offence) किसे कहते है-

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2(c) में संज्ञेय अपराध(congnizable offence) को परिभाषित किया गया है | जिसके अनुसार संज्ञेय अपराध(congnizable offence) ऐसे अपराध होते है जिसमे पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ़्तार कर सकता है |
साधारण शब्दों में समझने का प्रयास करे संज्ञेय अपराध(congnizable offence) किये जाने पर किसी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ़्तार करने के लिए वारंट की आवश्कता नहीं होती है | संज्ञेय अपराध(congnizable offence) अपने आप में गंभीर प्रकृति के अपराध होते है | जिनका निवारण तुरंत किया जाना आवश्यक होता है | यदि संज्ञेय अपराध(congnizable offence) के मामलो में पुलिस द्वारा तुरंत कार्यवाही नहीं की जाये तो अपराधी व्यक्ति के भाग निकलन की पूरी सम्भावना होती है |
संज्ञेय अपराध(congnizable offence) के अंतर्गत हत्या,लूट,अपहरण,आपराधिक मानव वध तथा दहेज मृत्यु जैसे गंभीर प्रकृति के अपराध आते है |

असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) किसे कहते है –

असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) ऐसे अपराध होते है जिसमें पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति वारंट के बिना गिरफ़्तार नहीं कर सकता है | असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) में किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के लिए पहले पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होती है अथार्त गिरफ़्तारी का वारंट लेना होता है | उसके बाद ही पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को जिसने असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) किया है को गिरफ़्तार कर सकता है | असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2(L) में परिभाषित किया गया है |
आप यह भी जान ले की असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) कम गंभीर प्रकृति के अपराध होते है और इन अपराधों से समाज को संज्ञेय अपराध(congnizable offence) की तुलना में कम खतरा होता है | इसलिए असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) के किये जाने पर तुरंत कार्यवाही किये जाने की आवश्कता नहीं होती है |
असंज्ञेय अपराध(non-congnizable offence) के अंतर्गत मानहानि,गर्भपात,किसी व्यक्ति की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना,जारकर्म तथा द्विविवाह जैसे कम गभीर प्रकृति के अपराध आते है |

संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) अपराध में अंतर –

संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) अपराध में निम्नलिखित अंतर होते है –

(1) संज्ञेय अपराध (congnizable offence) गंभीर प्रकृति के अपराध होते है, जबकि असंज्ञेय अपराध (non-congnizable offence) कम गंभीर प्रकृति के अपराध होते है |
(2) संज्ञेय अपराध (congnizable offence) की दशा में पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ़्तार कर सकता है, जबकि संज्ञेय अपराध (congnizable offence) की दशा में पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ़्तार नहीं कर सकता है |
(3) संज्ञेय अपराध (congnizable offence) घटित होने की रिपोर्ट थाने के भारसाधक को की जाती है, असंज्ञेय अपराध (non-congnizable offence) की दशा में अपराध के घटित होने के बारे में परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है |
(4) संज्ञेय अपराध (congnizable offence) में पुलिस अधिकारी मजिस्टेट के आदेश के बिना अन्वेक्षण का कार्य करना प्रारम्भ कर सकता है, जबकि असंज्ञेय अपराध (non-congnizable offence) में पुलिस अधिकारी को मामले में अन्वेषण प्रारंभ करने से पहले मजिस्टेट से अनुमति लेनी होती है |
निष्कर्ष –
अत: उपर्युक्त विवेचन से अब आप संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) अपराध के बारे में बेहतर तरीके से जान चुके होंगे | मै यह उम्मीद करता हूँ की भविष्य में संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) अपराध को लेकर आपके मन में किसी प्रकार की कोई शंका नहीं रहेगी और आपके साथ या आपके सामने किसी भी प्रकार का कोई अपराध घटित होने पर आप यह भलीभांति समझ पायेगे की वह अपराध संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) अपराध में से किस प्रकृति का अपराध है और जब आप यह समझ जाएंगे की वह अपराध संज्ञेय (congnizable)और असंज्ञेय(non-congnizable) में से किस प्रकृति का अपराध है तो अपराध की प्रकृति के आधार पर आप यह निर्णय सकते है की उस अपराध की शिकायत आपको पुलिस अधिकारी से करनी है या मजिस्टेट से |

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *