आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करने वाले है और वह मुद्दा है रेप | जी हां,आज हम बलात्कार या रेप के मुद्दे पर हम बात करने वाले है और बहुत ही शर्मनाक बात यह है की आये दिन इसके बारे में न्यूज़ पेपर में खबरे छपती रहती है |
रोज न्यूज़ पेपर में खबर आती है की आज फला जगह रेप हुआ है और रेप के बारे में जो घटनाये सामने आती है वह बच्चों के साथ होती है | तो बार-बार यह मुद्दा उठता है की हमारे देश में भी रेप के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए |
अगर आप सोशल नेटवर्क साइट्स का उपयोग करते है तो आपके पास भी लगातार यही मैसेज आते रहते होंगे की उस देश में रेप के लिए फांसी है और उस देश में रेप के लिए नपुंसक बना दिया जाता है | हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं होता |
2013 में निर्भया कांड के बाद एक हाई पॉवर समिति बनायीं गयी थी | जिसके चीफ जस्टिस वर्मा थे और इनके प्रस्ताव पर भारतीय दंड सहिता की धारा 376(a) और 376(e) में रेप के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था | तो पहले तो आपको यह समझना चाहिए की 2013   में ही हमारे देश में रेप के लिए फांसी की सजा आ चुकी है |
2018 में एक अध्यादेश जारी करके केंद्र सरकार ने रेप के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया है | अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की जब पहले से ही रेप के लिए फांसी की सजा थी तो केंद्र सरकार ने फिर से रेप के लिए फांसी का प्रावधान क्यों किया |
तो पहले जो रेप के लिए फांसी की सजा थी वह दो घटनाओ के लिए थी-
(1) यदि किसी महिला को रेप के बाद जान से मार दिया गया है या उसके शरीर को विकृतशील दशा में छोड़ दिया गया है या
(2) 2013 में जो फांसी की सजा आयी थी वह एक बार रेप का अपराध करने के बाद यदि फिर से उस व्यक्ति द्वारा रेप का अपराध किया जाता है
तो ऐसे व्यक्ति को रेप के लिए फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया था |

2018 में जो अध्यादेश आया था और  केंद्र सरकार जो कानून लेकर आयी थी वो 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप होने की स्थिति में था  | क्योंकि कुछ समय से लगातार बच्चियों के साथ रेप की घटनाये सामने आ रही थी |
लेकिन क्या आपको पता है की हमारे देश का कानून रेपिस्ट को जान से मारने का अधिकार देता है | किसको अधिकार देता है, किसी को भी | भारतीय दंड संहिता की धारा 96 और 97 सेल्फ डिफेंस की बात करते है और यह धाराएं अपने शरीर को या किसी अन्य व्यक्ति के शरीर को बचाने के लिए आप सेल्फ डिफेंस में किसी व्यक्ति को जान से मार सकते हो और यह अपराध नहीं है |

क्योकि भारतीय दंड संहिता के अध्याय 4 में जो साधारण अपवाद के बारे में बात करता है में यह बातें आती है की यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ रेप करने का प्रयास कर रहा है | तो उस व्यक्ति को जिसके साथ रेप करने का प्रयास किया जा रहा है को बचाने के लिए उस व्यक्ति को जान से मारा जा सकता है | जिसके द्वारा रेप करने का प्रयास किया किया जा रहा है |
तो कौन मार सकता है जान से, वह लड़की जिसके साथ रेप करने का प्रयास किया जा रहा है या कोई अन्य व्यक्ति जो वहाँ खड़ा है या जिसके सामने रेप किया जा रहा है या वहाँ उपस्थित कोई अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को जान से मार सकता है |
भारतीय दंड संहिता की धारा 100 के अनुसार शरीर की प्रतिरक्षा का अधिकार मृत्यु कारित करने तक कब होता है जबकि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर बलात्कार करने के आशय से हमला करता है तो वह व्यक्ति जिस पर रेप करने के आशय से हमला किया गया है | वह अपने शरीर की प्राईवेट प्रतिरक्षा में उस व्यक्ति की मृत्यु कारित कर सकता है |
यह बहुत ही साधारण सी बात है जो हर किसी को पता होनी चाहिए और यह कानून में कोई नयी बात नहीं है | यह अधिकार 1860 से कानून में दिया गया है और इसके बारे में अधिकतर लोगो को पता नहीं है | यदि महिलाओं को इस अधिकार के बारे में पता हो तो कई महिलाये अपने आप को बचा पाएगी | यदि महिलाओ को इस अधिकार के बारे में जानकारी होगी तो यदि किसी व्यक्ति द्वारा उसके साथ रेप की कोशिश किये जाने पर वह उस व्यक्ति को जान से मर पायगी या उसे इतनी चोट तो कारित कर ही देगी की वह भविष्य में किसी के साथ रेप करने के बारे में सोचेगा तक नहीं |

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