गरीब कैदी जमानत राशि के अभाव में अब जेल में बंद नहीं रहेंगे | सुप्रीम कोर्ट ने गरीब कैदियों की मदद के लिए योजना लागु करने के आदेश दिए है | इसके लिए एसओपी जारी की है | कोर्ट के सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जाँच ब्यूरो के फैसले के बाद एसओपी की आवकश्यता महसूस की जा रही थी | इस मामले में कोर्ट ने जमानत के नियमो के महत्व पर जोर देते हुए अनावश्यक गिरफ़्तारी और रिमांड को रोकने के लिए निर्देश जारी किये थे | जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एस.वी.एन. भाटी की खंडपीठ ने नवीनतम आदेश में राज्यों और हाईकोर्ट द्वारा इसके अनुपालन के लिए कुछ निर्देश पारित किये | कोर्ट ने कहा की केंद्र सरकार की ओर से एसओपी जारी है तो अधिकार प्राप्त समिति और फंड के माध्यम से कैदियों की मदद की जा सकती है |

यह है एसओपी-

गरीब कैदियों के लिए – राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के प्रत्येक जिले में अधिकार प्राप्त समिति प्रत्येक मामले में जमानत हासिल करने या जुर्माना अदा करने आदि के लिए वित्तीय सहायता की आवकश्यता का आकलन करेगी | इसके लिए आवश्यक राशि केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए ) के माध्यम से प्रदान की जायगी |

सजायाफ़्ता कैदियों के लिए – कोई दोषी व्यक्ति जुर्माना राशि का भुगतान नहीं करने के कारण जेल से रिहा नहीं हो पता है तो जेल एसपी को 7 दिन में डीएलएसए को सूचित करना होगा | डीएलएसए कैदी की वित्तीय िस्थति के बारे में पूछताछ करेगा | आवश्यक होने पर समिति 25000 रूपये तक की जुर्माना राशि जारी करने की अनुमति देगी | जुर्माने की रकम कोर्ट में जमा कराई जायगी |

विचाराधीन कैदी – विचाराधीन कैदी को 7 दिन की जमानत आदेश की अवधि के भीतर जेल से रिहा नहीं किया जाता है तो जेल प्राधिकरण जिला क़ानूनी प्राधिकरण (डीएलएसए ) को सूचित करेगा | डीएलएसए बदले में पूछताछ करेगा की क्या कैदी जमानत देने की िस्थति में नहीं है | डीएलएसए ऐसे मामलो को हर 2 -3 सप्ताह में जिला स्तरीय समिति के समक्ष रखेगा | समिति की राये के बाद 40000 रूपये तक की राशि जमानत के लिए न्यायालय को प्रदान की जा सकती है | आरोपी बरी हो जाता है तो ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद पैसा सरकार के खाते में वापस कर दिया जायगा | जमानत राशि 40000 से अधिक है तो सचिव, डीएलएसए जमानत राशि 40000 से कम करने की अपील कर सकते है |

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